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20 January, 2025

प्रकाश का परावर्तन- अपवर्तन



परावर्तन 

रावर्तन (अंग्रेज़ी:Reflection) अर्थात "जब कोई प्रकाश की किरण एक माध्‍यम से चलकर दूसरे माध्‍यम की सतह से टकराकर वापस उसी माध्‍यम में लौट आये तो इस घटना अथवा क्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।"


परावर्तन के नियम


प्रकाश के परावर्तन के निम्न नियम हैं-
1.आने वाली किरण (आपाती किरण), परावर्तित किरण (जाने वाली किरण) एवं अभिलम्‍ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
2.आपतन कोण (i), परावर्तन कोण (r) के बराबर होता है। अतः i = r

इसका अर्थ यह निकलता है कि जितने कोण पर कोई प्रकाश की किरण किसी दर्पण पर गिरेगी, वह उतने ही कोण से गिरने के पश्‍चात वापस चली जायेगी।
3.परावर्तन की क्रिया में प्रकाश की आवृति एवं चाल परिवर्तित नहीं होती अर्थात प्रकाश की ऊर्जा कम नहीं होती है।
4.नियम 2 से कहा जा सकता है कि यदि आपतन कोण शून्‍य हो तो परावर्तन कोण भी शून्‍य होगा। इस स्‍थिति में प्रकाश की किरण जिस मार्ग से आती है, उसी मार्ग से वापस चली जाती है या इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि अभिलम्‍बवत आपतन की स्‍थिति में प्रकाश किरण अपने आगमन मार्ग से परावर्तित हो जाती है।


अपवर्तन

जब प्रकाश की किरणें एक पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती है, तो दोनों माध्यमों को अलग करने वाले तल पर अभिलम्बत् आपाती होने पर बिना मुड़े सीधे निकल जाती है, परन्तु तिरछी आपाती होने पर वे अपनी मूल दिशा से विचलित हो जाती है। इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं। जब प्रकाश की कोई किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है, तो दोनों माध्यमों के पृष्ठ पर खींचे गए अभिलंब की ओर झुक जाती है तथा जब किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती, तो वह अभिलंब से दूर हट जाती है, लेकिन जो किरण अभिलंब के समांतर प्रवेश करती है, उनके पथ में कोई परिवर्तन नहीं होता।


अपवर्तन के नियम


  • आपतित किरण, अभिलंब तथा अपवर्तित किरण तीनों एक ही समतल में स्थित होते हैं।
  • किन्हीं दो माध्यमों के लिए आपतन कोण के ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण के ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है। अर्थात्

 (नियतांक)
नियतांक को पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं। इस नियम को स्नेल का नियम भी कहते हैं।
  • किसी माध्यम का अपवर्तनांक भिन्न-भिन्न रंग के प्रकाश के लिए भिन्न-भिन्न होता है। तरंगदैर्ध्य बढ़ने के साथ अपवर्तनांक का मान कम हो जाता है। अतः लाल रंग का अपवर्तनांक सबसे कम तथा बैंगनी रंग का अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है।
  • ताप बढ़ने पर भी सामान्यतः अपवर्तनांक घटता है। लेकिन यह परिवर्तन बहुत ही कम होता है।
  • किसी माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक निर्वात में प्रकाश की चाल तथा उस माध्यम में प्रकाश की चाल के अनुपात के बराबर होता है। अर्थात्
निर्वात अपवर्तनांक  = निर्वात में प्रकाश की चाल / माध्यम में प्रकाश की चाल

अपवर्तनांक के कारण घटित घटनाएँ

  • द्रव में अंशतः डूबी हुई सीधी छड़ टेढ़ी दिखाई पड़ती है।
  • तारे टिमटिमाते हुए दिखाई पड़ते हैं।
  • सूर्योदय के पहले एवं सूर्यास्त के बाद भी सूर्य दिखाई देते हैं।
  • पानी से भरे किसी बर्तन की तली में पड़ा हुआ सिक्का ऊपर उठा हुआ दिखाई पड़ता है।
  • जल के अन्दर पड़ी हुई मछली वास्तविक गहराई से कुछ ऊपर उठी हुई दिखाई पड़ती है।
  • पूर्ण आन्तरिक परावर्तन  

पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (अंग्रेज़ीTotal Internal Reflection) एक प्रकाशीय परिघटना है।

प्रकाश हमेशा ही एक माध्यम से प्रकाशीय रूप से सघन माध्यम में जा सकता है, लेकिन यह विरल माध्यम में हमेशा नहीं जा सकता। जब प्रकाश किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम के पृष्ठ पर आपतित हो रही हों और आपतन कोण क्रांतिक कोण से अधिक हो, तब प्रकाश का अपवर्तन नहीं होता, बल्कि संपूर्ण प्रकाश परावर्तित होकर उसी माध्यम में लौट जाता है। इस घटना को 'पूर्ण आन्तरिक परावर्तन' कहते हैं।

पूर्ण आन्तरिक परावर्तन का एक उपयोगी प्रयोग ऑप्टिकल फाइबर में किया जाता है। प्रकाशीय तन्तुओं का कार्य पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धान्त पर ही आधारित है।

प्रकाश का प्रकीर्णन 

प्रकाश का प्रकीर्णन (अंग्रेज़ीLight Scattering) वह प्रकीर्णन है, जिसमें ऊर्जा का वाहक और प्रकीर्ण होने वाला विकिरण प्रकाश होता है।
परिभाषा
जब प्रकाश अणुओं, परमाणुओं व छोटे-छोटे कणों पर आपतित होता है तो उसका विभिन्न दिशाओं में प्रकीर्णन हो जाता है। जब सूर्य का प्रकाश जो कि सात रंगों का बना होता है, वायुमंडल से गुजरता है तो वह वायुमंडल में उपस्थित कणों द्वारा विभिन्न दिशाओं में प्रसारित हो जाता है। इस प्रक्रिया को ही 'प्रकाश का प्रकीर्णन' कहते हैं।

आकाश का रंग सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण ही नीला दिखाई देता है।

इंद्रधनुष  

परावर्तन, पूर्ण आन्तरिक परावर्तन तथा अपवर्तन द्वारा वर्ण विक्षेपण का सबसे अच्छा उदाहरण इन्द्रधनुष है। बरसात के मौसम में जब पानी की बूँदे सूर्य पर पड़ती है तब सूर्य की किरणों का विक्षेपण ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण बनता है। आकाश में संध्या के समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लालनारंगीपीलाहराआसमानीनीला, तथा बैंगनी रंगों का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है।

प्रकार

इन्द्रधनुष दो प्रकार के होते है जो इस प्रकार हैं:-
  • प्राथमिक इन्द्रधनुष
  • द्वितीयक इन्द्रधनुष

इन्द्रधनुष

प्राथमिक इन्द्रधनुष

जब वर्षा की बूँदों पर आपतित होने वाली सूर्य की किरणों का दो बार अपवर्तन व एक बार परावर्तन होता है, तो प्राथमिक इन्द्रधनुष का निर्माण होता है। प्राथमिक इन्द्रधनुष में लाल रंग बाहर की ओर और बैंगनी रंग अन्दर की ओर होता है। इसमें अन्दर वाली बैंगनी किरण आँख पर 40°8' तथा बाहर वाली लाल किरण आँख पर 42°8' का कोण बनाती है।

द्वितीयक इन्द्रधनुष

जब वर्षा की बूँदों पर आपतित होने वाली सूर्य की किरणों का दो बार अपवर्तन व दो बार परावर्तन होता है, तो द्वितीयक इन्द्रधनुष का निर्माण होता है। इसमें बाहर की ओर बैंगनी रंग एवं अन्दर की ओर लाल रंग होता है। बाहर वाली किरण आँख पर 54°52' का कोण तथा अन्दर वाली किरण 50°8' का कोण बनाती है। द्वितीयक इन्द्रधनुष प्राथमिक इन्द्रधनुष की अपेक्षा कुछ धुँधला दिखलाई पड़ता है।

वर्ण विक्षेपण  

जब सूर्य का प्रकाश प्रिज़्म से होकर गुजरता है तो वह अपवर्तन के पश्चात् प्रिज़्म के आधार की ओर झुकने के साथ-साथ विभिन्न रंगों के प्रकाश में बँट जाता है। इस प्रकार से प्राप्त रंगों के समूह को वर्णक्रम कहते हैं तथा श्वेत प्रकाश का अपने अवयवी रंगों में विभक्त होना वर्ण विक्षेपणकहलाता है।
  • सूर्य के प्रकाश से प्राप्त रंगों में बैंगनी रंग का विक्षेपण सबसे अधिक एवं लाल रंग का विक्षेपण सबसे कम होता है।
  • न्यूटन ने 1666 ई. में पाया कि भिन्न-भिन्न रंग भिन्न-भिन्न कोणों से विक्षेपित होते हैं।
  • वर्ण विक्षेपण किसी पारदर्शी पदार्थ में भिन्न-भिन्न रंगों के प्रकाश के भिन्न-भिन्न वेग होने के कारण होता है। अतः किसी पदार्थ का अपवर्तनांक भिन्न-भिन्न होता है।

    वर्णक्रम 

    • जब सूर्य का प्रकाश प्रिज़्म से होकर गुजरता है, तो वह अपवर्तन के पश्चात् प्रिज़्म के आधार की ओर झुकने के साथ-साथ विभिन्न रंगों के प्रकाश में बँट जाता है। इस प्रकार से प्राप्त रंगों के समूह को वर्णक्रम कहते हैं।
    • अंग्रेज़ी भाषा में इसे स्पैक्ट्रम (Spectrum) कहा जाता है।
    • इसे नापने में मेगाहर्ट्ज का प्रयोग किया जाता है।
    • वर्णक्रम की आवृत्तियों की दूरी एक मानक द्वारा तय की जाती है।

''कार्बन और उसके यौगिक''

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Class- 10 Science              
 ''कार्बन और उसके यौगिक''

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न-1 कार्बनिक यौगिक विद्युत का चालन क्यों नहीं करते हैं?

उत्तर- कार्बनिक यौगिकों में आयनों की अनुपस्थिति के कारण ये विद्युत का चालन नहीं करते हैंअर्थात ये विद्युत के कुचालक होते हैं।

प्रश्न-2 एथीन के एक अणु में उपस्थित बन्धों का प्रकार व उनकी संख्या बताइए।

उत्तर- एथीन के एक अणु में एकल बन्ध की संख्या व द्विबन्ध की संख्या होती है।

प्रश्न-3 ग्रेफाइट के उपयोग बताइए।

उत्तर-

1. मशीनों में स्नेहक के रूप में

2. शुष्क सेलों में इलेक्ट्रोड बनाने में

3. पेन्सिल के क्रोड (लेड) बनाने में

प्रश्न-4 एल्काइन सजातीय श्रेणी के प्रथम सदस्य का नाम बताइए।

उत्तर- एल्काइन सजातीय श्रेणी के प्रथम सदस्य का नाम एथाइन या एसिटिलीन है।

प्रश्न-5 चक्रीय हाइड्रोकार्बन क्या हैएक असंतृप्त चक्रीय हाइड्रोकार्बन का नाम बताइए।

उत्तर- वे हाइड्रोकार्बन हैं जिनमें कार्बन परमाणु वलय के रूप में व्यवस्थित होते हैंउन्हें चक्रीय हाइड्रोकार्बन कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-

1. संतृप्त चक्रीय हाइड्रोकार्बनजैसे- साइक्लोपेण्टेन तथा

2. असंतृप्त चक्रीय हाइड्रोकार्बन जैसे- बैंजीन

प्रश्न-6 परिशोधित स्पिरिट व परिशुद्ध एल्कोहल क्या हैं?

उत्तर- 5 प्रतिशत जल युक्त एथेनॉल को परिशोधित स्पिरिट तथा 100 प्रतिशत शुद्ध एथेनॉल को परिशुद्ध एल्कोहोल कहते है। एथेनॉल एक उदासीन यौगिक है जो लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं डालता।

प्रश्न-7 साबुन के अणु की संरचना के दोनों भागों के नाम बताइए।

उत्तर- साबुन अणु दो भागों का बना होता है।

1. लम्बा हाइड्रोकार्बन भाग (जल विरोधी सिरा)-

यह भाग जल विरोधी सिरा होता है जो जल में विलेय नहीं होता है किन्तु तेल व ग्रीस जैसे हाइड्रोकार्बन्स में विलेय होता है।

2.  -COO-Na+ युक्त छोटा आयनिक भाग (जलरागी सिरा)-

यह जलरागी सिरा होता है जो जल में विलेय होता है किन्तु तेल व ग्रीस में अविलेय होता है।

प्रश्न-8 संरचनात्मक समावयव किसे कहते हैं?

उत्तर- ऐसे यौगिक जिनका आणविक सूत्र समान लेकिन उनका संरचना सूत्र भिन्न होता हैउन्हें संरचनात्मक समावयव कहते हैं।

प्रश्न-9 विषम परमाणु किसे कहते हैं?

उत्तर- कार्बनिक यौगिकों में हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करने वाले तत्वों को विषम परमाणु कहते हैं।

प्रश्न-10 साइक्लोपेन्टेन का सूत्र तथा इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना क्या होंगे?

उत्तर-

प्रश्न-11 कार्बन के कौन-कौनसे अपररूप होते हैं?

उत्तर- हीराग्रेफाइटचारकोल और फुलरीन।

प्रश्न-12 ग्रेफाइट की संरचना कैसी होती है?

उत्तर- ग्रेफाइट में कार्बन परमाणुओं का षट्कोणीय व्यूह होता है जो एक ही तल पर होता है। इसमें कार्बन का प्रत्येक परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं के साथ आबंध बनाता है। इनमें से एक आबंध द्विआबंधी होता है जिसके कारण कार्बन की संयोजकता पूर्ण होती है। ग्रेफाइट की संरचना में षट्कोणीय तल एक दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होते हैंइसी कारण ग्रे़फाइट चिकना तथा फिसलनशील होता है।

प्रश्न-13 हीरे की संरचना कैसी होती है?

उत्तर- हीरे में कार्बन का प्रत्येक परमाणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ आबंधित होता है जिससे एक दृढ़ त्रिआयामी संरचना बनती है। इसी कारण हीरा कठोर पदार्थ है। हीरा अब तक का ज्ञात सर्वाधिक कठोर पदार्थ है।

प्रश्न-14 संश्लेषित हीरा कैसे बनाया जाता है?

उत्तर- शुद्ध कार्बन को अत्यधिक उच्च दाब एवं ताप पर उपचारित (subjecting) करके हीरे को संश्लेषित किया जा सकता है। ये संश्लिष्ट हीरे प्राकृतिक हीरों जैसे ही होते हैं किंतु ये आकार में छोटे होते हैं।

प्रश्न-15 फुलेरीन क्या हैइसकी संरचना कैसी होती है?

उत्तर- फुलेरीन भी कार्बन का एक अपररूप है। इसके एक अणु में 60 कार्बन परमाणु होते है जो फुटबॉल के रूप के समान व्यवस्थित होते हैं। चूंकि इसके अणु का आकार अमेरिकी आर्किटेक्ट बकमिंस्टर फु़लर द्वारा डिजाइन किए गए जियोडेसिक गुंबद के समान होता हैंइसीलिए इस अणु का नाम फुलेरीन रखा गया।

प्रश्न-16 CO2 सूत्र वाले कार्बन डाइऑक्साइड की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होगी?

उत्तर-


प्रश्न-17 संतृप्त कार्बनिक यौगिक किसे कहते हैं?

उत्तर- जिस कार्बनिक यौगिक में कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल आबंध होते हैंउन्हें संतृप्त कार्बनिक यौगिक कहते हैं। सामान्यतः ये यौगिक कम अभिक्रियाशील होते हैं। 

            जैसे-    &C& C& C& C& C&

प्रश्न-18 असंतृप्त कार्बनिक यौगिक किसे कहते हैं?

उत्तर- जिस कार्बनिक यौगिक में कार्बन परमाणुओं के बीच एकल आबंध के अलावा द्वि- अथवा त्रि-आबंध भी होते हैंउन्हें संतृप्त कार्बनिक यौगिक कहते हैं। सामान्यतः ये यौगिक अधिक अभिक्रियाशील होते हैं।

            जैसे-   &C= C= C& (द्वि-आबंध) या     &C ≡ C& (त्रि-आबंध)

प्रश्न-19 कार्बन का कौनसा अपररूप विद्युत् का चालक होता है?

उत्तर- ग्रेफाईट

प्रश्न-20 भूपर्पटी में खनिजों (जैसे कार्बोनेटहाइड्रोजनकार्बोनेटकोयला एवं पेट्रोलियम) के रूप में केवल कितने प्रतिशत कार्बन उपस्थित है?

उत्तर- 0.02%

प्रश्न-21 वायुमंडल में केवल कितने प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड उपस्थित है?

उत्तर- 0.03%

प्रश्न-22 कार्बनिक यौगिक बनाने में कार्बन अन्य परमाणुओं के साथ कौनसा आबंधन बनाता है?

उत्तर- सहसंयोजी आबंधन

प्रश्न-23 अमोनिया के अणु NH3 की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना को चित्रित कीजिए।

उत्तर-

प्रश्न-24 मीथेन के अणु CH4 की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना को चित्रित कीजिए।

उत्तर-

प्रश्न-25 बायोगैस एवं संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) के प्रमुख घटक का नाम व सूत्र बताइए।

उत्तर- मीथेन CH4

प्रश्न-26 निम्नांकित के अणुसूत्र लिखिए-

1. एथेन     2. प्रोपेन     3. ब्यूटेन     4. पेन्टेन

उत्तर-

1. एथेन  C2H6     2. प्रोपेन C3H8      3. ब्यूटेन C4H10     4. पेन्टेन C5H12

प्रश्न-27 निम्नांकित के अणुसूत्र लिखिए-

1. बेंजीन     2. एथीन           3. एथाइन

उत्तर-

1. बेंजीन  C6H6    2. एथीन  C2H4          3. एथाइन  C2H2

प्रश्न-28 ब्यूटेनॉन चर्तु-कार्बन यौगिक का प्रकार्यात्मक समूह बताइए।

उत्तर- कीटोन

प्रश्न-29 एथेन (आण्विक सूत्र- C2H6) में कितने सहसंयोजक आबंध हैं?

उत्तर- 7

प्रश्न-30 खाना बनाते समय यदि बर्तन की तली बाहर से काली हो रही है तो इसका क्या कारण है?

उत्तर- ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न-1 कार्बन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्या हैकार्बन मुख्यत सहसंयोजक आबन्धन द्वारा यौगिकों का निर्माण क्यों करता हैं?

उत्तर- कार्बन में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6 होती है। अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S22S2 2P2 है। यह अपने बाहरी कोश में अक्रिय गैस विन्यास प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रॉनों का साझा करता है। इलेक्ट्रॉनों का साझा करने के कारण कार्बन द्वारा बनाए जाने वाले बन्ध सहसंयोजक बन्ध कहलाते हैं।

प्रश्न-2 हीरा और ग्रेफाइट की संरचना में क्या भिन्नता होती है?

उत्तर-

क्र. सं.
विशेषता
हीरा
ग्रेफाइट
1
कठोरता
कार्बन परमाणुओं की त्रिविम समचतुष्फलकीय व्यवस्था के कारण यह कठोरतम पदार्थ है।
कार्बन परमाणुओं की षटभुजाकार परत संरचनाके कारण यह एक मुलायम पदार्थ है।
2
विद्युत चालकता
मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होने से विद्युत का कुचालकहोता है।
मुक्त इलेक्ट्रॉन उपलब्ध होने के कारण विद्युत का सुचालक होता है।

प्रश्न-3 हाइड्रोकार्बन क्या हैएल्केनएल्कीन व एल्काइन का सामान्य सूत्र दीजिए।

उत्तर- केवल हाइड्रोजन और कार्बन से बने यौगिकहाइड्रोकार्बन कहलाते है। ये दो प्रकार के होते हैं-

1 संतृप्त हाइड्रोकार्बन जैसे-एल्केन

2 असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जैसे- एल्कीन व एल्काइन।

एल्केन का सामान्य सूत्र CnH2n+2एल्कीन का सामान्य सूत्र CnH2n तथा एल्काइन का सामान्य सूत्र CnH2n-2 होता है।

प्रश्न-4 हाइड्रोकार्बन्स की सजातीय श्रेणी से क्या तात्पर्य हैएल्कीन की सजातीय श्रेणी के प्रथम दो सदस्यों के नाम दीजिए।

उत्तर- समान संरचनाओं और समान रासायनिक गुणधर्मों वाले कार्बनिक यौगिकों के उस समूह को सजातीय श्रेणी कहते हैंजिसमें समान क्रियात्मक समूह होता है एवं जिसमें क्रमागत यौगिकों के सूत्र में CH2 समूह का एवं आण्विक द्रव्यमान में 14 u का अन्तर होता है। एल्कीन्स की सजातीय श्रेणी का सामान्य सूत्र CnH2n होता है व इसके प्रथम दो सदस्य हैं- एथीन C2H2 व प्रोपीन C3H6

प्रश्न-5 ब्यूटेन व आइसोब्यूटेन किस प्रकार के समावयव हैंब्रोमोपेण्टेन के इस प्रकार के कितने समावयव हो सकते हैं?

उत्तर- ब्यूटेन व आइसोब्यूटेन के अणुसूत्र समान हैं किन्तु संरचना भिन्न होती है अतः ये संरचनात्मक समावयव हैं।

ब्रोमोपेण्टेन के तीन संरचनात्मक समावयव सम्भव है-

(1) द-ब्रोमोपेण्टेन (2) आइसो ब्रोमोपेण्टेन (3) निओ ब्रोमोपेण्टेन

प्रश्न-5 निम्न हाइड्रोकार्बन्स का IUPAC नामकरण कीजिए-

(a) C3H8                      (b) C2H2                      (c) CH3CH2COOH                (d) CH3CHO

(e) CH3CH2OH          (f) CH3COCH3           (g) CH3Cl

उत्तर-

(a) C3Hप्रोपेन             (b) C2Hएथाइन      (c) CH3CH2COOH प्रोपेनोइक अम्ल

(d) CH3CHO एथेनैल        (e) CH3CH2OH एथेनॉल     (f) CH3COCH3  प्रोपेनोन

(g) CH3Cl क्लोरो मेथेन

प्रश्न-6 सभी एल्केन्स प्रतिस्थापन अभिक्रिया प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार की किसी प्रतिस्थापन अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण दीजिए।

उत्तर- संतृप्त हाइड्रोकार्बन या एल्केन्स सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन के साथ प्रतिस्थापन अभिक्रियाएं प्रदर्शित करते हैं। इसमे हाइड्रोकार्बन के एक या अधिक हाइड्रोजन परमाणु क्लोरीन द्वारा प्रतिस्थापित कर दिए जाते हैं।

              CH4                         +          Cl2       →        CH3Cl                         +          HCl

प्रश्न-7 क्या होता है जब एथीन को निकल की उपस्थिति में हाइड्रोजन के साथ गर्म किया जाता है?

उत्तर- एथीन को जब निकल या पैलेडियम उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन के साथ गर्म किया जाता है तो एथेन की प्राप्ति होती है।

            CH2= CH2         +          H2          →     CH3 _ CH3

प्रश्न-8 कार्बन  उसके यौगिकों का उपयोग अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता हैदहन की रासायनिक अभिक्रियाओं के उदाहरणदीजिए।

उत्तरवायु में कार्बन यौगिक के जलकर कार्बन डाइऑक्साइडजलऊष्मा  प्रकाश उत्पन्न करने की प्रक्रिया को दहन कहते हैं। कार्बन यौगिकों के जलकरअत्यधिक मात्रा में ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न करने के कारण ही अधिकांश कार्बन यौगिकों का अनुप्रयोग ईधन के रूप में किया जाता है।

1.  कार्बन का दहन      

              O2     CO2    +  ऊष्मा एवं प्रकाश

2.  मेथेन का दहन        

            CH4    2O2    CO2    2H2 +  ऊष्मा एवं प्रकाश

3. एल्कोहोल का दहन  

            CH3CH2OH    3O2      2CO2      3H2     ऊष्मा एवं प्रकाश

प्रश्न-9 हाइड्रोजनीकरण क्या हैइसका औद्योगिक अनुप्रयोग भी बताइए।

उत्तर- वनस्पति तेल जैसे मूंगफली का तेलबिनोले का तेल आदि द्वि आबन्धों युक्त असंतृप्त हाइड्रोकार्बन युक्त वसा है। ये कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होते हैं। वनस्पति तेल निकैल अथवा पैलेडियम उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन के साथ संकलन अभिक्रिया कर वनस्पति घी नामक संतृप्त हाइड्रोकार्बन युक्त वसा बनाते हैं जो कमरे के ताप पर अर्धठोस अवस्था में होते हैं।
           वनस्पति तेल (असंतृप्त वसा)                 वनस्पति घी (संतृप्त वसा)

प्रश्न-10 कोयला व पेट्रोलियम को जीवाश्मी ईंधन क्यों कहते हैं?

उत्तर- कोयले व पेट्रोलियम को जीवाष्मी ईंधन भी कहते हैं क्योंकि वे अत्यन्त प्राचीन काल में पृथ्वी के नीचे दफन प्रागैतिहासिक पेड़-पौधों तथा जंतुओं के अवशेषों अर्थात जीवाष्मों के अपघटन द्वारा बने थे। पृथ्वी के अन्दर उच्च तापदाब और वायु की अनुपस्थिति में लकड़ी कोयले में परिवर्तित हो गई।

इसी प्रकार करोड़ों वर्ष पहले समुद्र के नीचे दफन अत्यन्त छोटे पौधों और जंतुओं के अवशेषों के जीवाणुओं द्वारा अपघटन एवं उच्च दाब द्वारा पेट्रोलियम व गैस का निर्माण हुआ।

प्रश्न-11 आणविक सूत्र C2H5OH का एक उदासीन कार्बनिक यौगिक x का अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट के साथ उपचयन करने पर सिरके जैसी गंध वाला एक अम्लीय यौगिक y बनता है। सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में यौगिक x को y के साथ गरम करने पर एक मधुर गंध वाला पदार्थ Z बनता है। x, y और Z के नाम व रासायनिक समीकरण लिखिए।

उत्तर- यौगिक X = C2H5OH (एथिल एल्कोहल), यौगिक Y = CH3COOH (एथेनोइक अम्ल) तथा यौगिक  Z = CH3COOC2H5 या एथिल एथेनोएट(एक एस्टरहैजो एक मधुर गंध वाला पदार्थ है।

अभिक्रियाओं के समीकरण-

            CH3CH2OH   +       2 [O]                   →       CH3COOH     H2O

            एथेनॉल         नवजात ऑक्सीजन            एथेनोइक अम्ल

                         (पोटैशियम डाइक्रोमेट से प्राप्त)

            CH3COOH      C2H5OH             →      CH3COOC2H5   +    H2O

                                                 एथिल एथेनोएट (एस्टर)

प्रश्न-12 मिसेल क्या हैयह कपडों की सफाई में किस प्रकार सहायक है?

उत्तर- जब साबुन को जल में विलेय किया जाता है तो यह इमल्शन (कोलाइड) बनाता है। जिसमें साबुन के अणु परस्पर गुच्छे में एकत्र होकर गोलाकार संरचना बनाते हैंजिसे मिसेल कहते हैं। इस मिसेल में हाइड्रोकार्बन सिरे केन्द्र की ओर निर्दिष्ट होते हैं और आयनिक सिरे बाहर की ओर। गन्दे कपडों को जब साबुन युक्त जल में डाला जाता है तो मिसेल में साबुन अणुओं के हाइड्रोकार्बन सिरे कपडे की सतह पर मौजूद तेल कणों से संलग्न होकर उन्हे फंसाकर रोक लेते हैं। जब गन्दे कपडों को साबुन विलयन में हिलायारगडा या पीटा जाता है तो मिसेल द्वारा फंसाए हुए ये तेल कण जल में बिखर जाते हैं और कपडों की गन्दगी को जल में विलीन कर देते हैं। इस प्रकार कपडों की गन्दगी जल में रह जाती है और कपड़े साफ हो जाते हैं।

प्रश्न-13 साबुन एवं अपमार्जक पर तुलनात्मक टिप्पणी कीजिए।

उत्तर-

क्र सं.
गुण  
साबुन
अपमार्जक
1
संरचना
उच्च कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण
उच्च कार्बोक्सिलिक अम्लों के अमोनियम या सल्फोनेट लवण
2
कठोर जल के साथ क्रिया
कठोर जल के साथ झाग नहीं देते  
कठोर जल के साथ आसानी से झाग देते हैं
3
जीवाणुओं के द्वारा अपघटन
अपघटन नहीं होने से जल प्रदूषण करते हैं     
जीवाणुओं द्वारा जल अपघटन होने से जल प्रदूषण नहीं करते।


प्रश्न-14 एथेनॉल एक स्वच्छ ईंधन क्यों माना जाता हैगन्ने के रस से एथेनॉल कैसे प्राप्त करते हैं?

उत्तर-

एथेनॉल स्वच्छ नीली ज्वाला के साथ जलकर अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा देता है तथा केवल CO2 व H2O देता है। एक साफ सुथरा ईंधन होने के कारण इसे पेट्रोल के साथ मिश्रित कर उपयोग में लिया जाता है। ईंधन के उपयोग का एथेनॉल अधिकांशतया गन्ने से प्राप्त किया जाता है। गन्ने के रस के क्रिस्टलीकरण से चीनी बनाने के बाद बचा गाढा भूरा द्रव शीरा कहलाता है। इस शीरे में अभी भी मौजूद तकरीबन 30 प्रतिशत चीनी के किण्वन द्वारा एथेनॉल प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न-15 क्या होगा यदि असंतृप्त हाइड्रोकार्बन्स को शुद्ध ऑक्सीजन में जलाया जाए?


उत्तर- यदि असंतृप्त हाइड्रोकार्बन्स को शुद्ध ऑक्सीजन में जलाया जाए तो वे बिना धुएं की नीली ज्वाला के साथ पूर्ण रूप से जलेंगे। यही कारण है कि एसिटिलीन (एथाइन) व ऑक्सीजन का मिश्रण ऑक्सी-एसिटिलीन ज्वाला के रूप में उच्च ताप उत्पन्न करता है जो धातुओं की वेल्डिंग में प्रयुक्त होता है।

प्रश्न-16 विकृत एल्कोहल क्या है?

उत्तर- औद्योगिक कार्यों के लिए एथेनॉल को सरकार द्वारा सस्ता उपलब्ध करवाया जाता है। पीने के उद्देष्य से इस एथेनॉल की कालाबाजारी रोकने हेतु इसमे मेथेनॉलपिरिडीन या कॉपर सल्फेट जैसे विषैले पदार्थों को मिला दिया जाता है जिससे एल्कोहॉल पीने के अनुपयुक्त हो जाती है। इसे विकृत एल्कोहॉल कहते हैं। यह रंग में नीली होती हैजिससे यह आसानी से पहचानी जा सकती है।

प्रश्न-17 निम्नलिखित प्रकार्यात्मक समूहों का उनके अनुलग्नों से सुमेलित कीजिए-

1     ऐल्कोहॉल  ( -OH)                     (अ)   ऑइक अम्ल

2     ऐल्डिहाइड ( -CHO)                    (ब)   ऐन

3     कीटोन ( C )                          (स)   आइन

4     कार्बोक्सिलिक अम्ल ( -COOH)                (द)   ओन

5     एल्कीन ( C = C )                      (य)   ऑल

6     एल्काइन ( C ≡ C )                     (र)    ऐल

7     एल्केन  ( C - C )                      (ल)   ईन

उत्तर- 1 य2 र3 द4 अ5 ल6 स7 ब।

प्रश्न-18 कार्बन के दो गुणधर्म कौन से हैं जिनके कारण हमारे चारों ओर कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है?

उत्तर-

1. कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है जिससे बड़ी संख्या मे अणु बनते हैं। इस गुण को श्रृंखलन (catenation) कहते हैं।

2. चूंकि कार्बन की संयोजकता चार होती हैअतः इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य एक संयोजक परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। ऑक्सीजनहाइड्रोजननाइट्रोजनसल्फरक्लोरीन तथा अनेक अन्य तत्वों के साथ कार्बन के यौगिक बनते हैं,फलस्वरूप ऐसे विशेष गुण वाले यौगिक बनते हैं जो अणु में कार्बन के अतिरिक्त उपस्थित तत्व पर निर्भर करते हैं।













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