अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न-1 कौनसी धातु सर्वाधिक आघातवर्धनीय व तन्य है?
उत्तर- सोना (गोल्ड) ।
प्रश्न-2 किसी एक द्रव अधातु का नाम बताइए।
उत्तर- ब्रोमीन ।
प्रश्न-3 धातु ऑक्साइड साधारणतः किस प्रकृति के होते हैं?
उत्तर- क्षारीय।
प्रश्न-4 आयरन तनु H2SO4 के साथ अभिक्रिया कर H2 गैस मुक्त करता है किन्तु कॉपर नहीं, क्यों? कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- आयरन तनु H2SO4 के साथ अभिक्रिया कर H2 गैस मुक्त करता है किन्तु कॉपर नहीं क्योंकि सक्रियता श्रेणी में आयरन, हाइड्रोजन से ऊपर है जबकि कॉपर नीचे। अतः कॉपर की सक्रियता हाइड्रोजन से कम होने के कारण यह तनु H2SO4 से क्रिया कर H2 गैस मुक्त नहीं करता।
प्रश्न-5 एक्वारेजिया क्या है?
उत्तर- सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) व सान्द्र नाइट्रिक अम्ल (HNO3) का 3:1 के अनुपात में बनाया गया ताजा मिश्रण एक्वारेजिया कहलाता है। यह बहुत अधिक संक्षारक है जो गोल्ड व प्लेटिनम जैसी धातुओं को भी विलेय कर सकता है।
प्रश्न-6 उत्कृष्ट गैसों के बाहरी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर- 8 (जैसे- निऑन, आर्गन, क्रिप्टन आदि)
प्रश्न-7 कैटायन किसे कहते हैं?
उत्तर- जिन तत्वों के परमाणुओं के सबसे बाहरी कोश में 1, 2 या 3 इलेक्ट्रॉन होते हैं, वे उत्कृष्ट या अक्रिय गैस विन्यास प्राप्त करने के लिए इन इलेक्ट्रॉनों को त्याग कर धनायन या कैटायन बनाते हैं।
प्रश्न-8 कॉपर के बर्तन को काफी समय तक नम वायु में रखने पर बनने वाली हरी परत क्यों बन जाती है? यह हरी परत किस रासायनिक पदार्थ की होती है?
उत्तर- जब कॉपर की वस्तु काफी समय तक नम वायु में रहती है तो कॉपर, वायु की कार्बन डाई ऑक्साइड और जल के साथ धीरे धीरे अभिक्रिया करके वस्तु की सतह पर क्षारकीय कॉपर कार्बोनेट की हरी परत बनाता है।
प्रश्न-9 शुद्ध सोना कितने कैरेट का माना जाता है?
उत्तर- 24 कैरेट का।
प्रश्न-10 पीतल में तांबे व जस्ते की प्रतिशत मात्रा बताइए।
उत्तर- तांबा 80 प्रतिशत व जस्ता 20 प्रतिशत।
प्रश्न-11 दो धातुओं के नाम बताइए जो प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाई जाती हैं।
उत्तर- सक्रियता श्रेणी में नीचे आने वाली धातुएं सबसे कम अभिक्रियाशील होती हैं। ये स्वतंत्र अवस्था में पाई जाती हैं। उदाहरण के लिए, गोल्ड (सोना), सिल्वर (चांदी), प्लैटिनम एवं कॉपर (तांबा) स्वतंत्र अवस्था में पाए जाते हैं।
प्रश्न-12 धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करने के लिए किस रासायनिक प्रक्रम का उपयोग किया जाता है?
उत्तर- धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करने के लिए अपचयन प्रक्रम का उपयोग किया जाता है। अपचयन प्रक्रम में कार्बन जैसे उपयुक्त अपचायक का उपयोग कर धातु ऑक्साइड से धातु प्राप्त की जाती है। उदाहरण के लिए, जब जिंक ऑक्साइड को कार्बन के साथ गर्म किया जाता है तो यह जिंक धातु में अपचयित हो जाता है।
ZnO (s) + C (s) → Zn (s) + CO (g)
प्रश्न-13 सोडियम, ऑक्सीजन एवं मैग्नीशियम के लिए इलेक्ट्रॉन-बिंदु संरचना लिखिए।
उत्तर-
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न-1 धातुओं के किन्ही 5 गुणधर्मों को श्रेणीबद्ध कीजिए।
उत्तर- धातुएं वे हैं जो-
1. ऊष्मा चालकता-
धातुएं ऊष्मा की चालक होती हैं। सिल्वर या चांदी ऊष्मा की उत्तम चालक है। खाना पकाने के बर्तन तथा जल बॉयलर आदि प्रायः कॉपर या एल्युमिनियम के बने होते हैं। क्योंकि ये धातुएं भी ऊष्मा की बहुत अच्छी चालक होती हैं। ऊष्मा का सबसे बुरे चालक लेड या सीसा व मरकरी है।
2 विद्युत चालकता-
धातुएं विद्युत की चालक होती है। सिल्वर, विद्युत का उत्तम चालक है। कॉपर, एल्युमिनियम, गोल्ड भी विद्युत के अच्छे चालक होते हैं। इसीलिए विद्युत तारों को कॉपर या एल्युमिनियम का बनाया जाता है। विद्युत तारों के ऊपर पॉलीविनायल क्लोराइड (पीवीसी) जैसे विद्युतरोधी पदार्थों का आवरण चढा होता है। आयरन (लोहा) व मरकरी (पारा) विद्युत की निम्नतम चालक होती है।
3 कठोरता-
धातुएं कठोर होती हैं। लेकिन लिथियम, सोडियम व पोटैशियम मुलायम धातुएं है जिन्हे चाकू से काटा जा सकता है।
4 अवस्था -
धातुएं कमरे के ताप पर ठोस होती हैं लेकिन मरकरी कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में होती है।
5 गलनांक व क्वथनांक-
धातुएं उच्च गलनांक व उच्च क्वथनांक वाली होती हैं। लेकिन सोडियम व पोटैशियम के गलनांक व क्वथनांक निम्न होते हैं। गैलियम व सीजियम धातुएं इतनी कम गलनांक (300 व 200)वाली होती है कि वे हमारे षरीर की ऊष्मा से गलने लगती हैं।
प्रश्न-2 उभयधर्मी ऑक्साइड क्या है? किन्ही दो उभयधर्मी ऑक्साइडों के नाम बताइए।
उत्तर- उभयधर्मी ऑक्साइड वे ऑक्साइड हैं जो अम्लीय व क्षारीय दोनों प्रकार की प्रकृति दर्शाते हैं। ये अम्ल व क्षार दोनों से क्रिया कर लवण व जल बनाते हैं। एलुमिनियम ऑक्साइड व जिंक ऑक्साइड इस प्रकार के ऑक्साइड हैं।
प्रश्न-3 सोडियम व पोटैशियम जैसी धातुओं को केरोसीन मे रखा जाता है। क्यों?
उत्तर- लिथियम, सोडियम व पोटैशियम जैसी अत्यन्त अभिक्रियाशील धातुएं कमरे के ताप पर वायु के साथ तीव्र अभिक्रिया करके आग पकड लेती हैं। और सोडियम ऑक्साइड बनाती है। तीव्र अभिक्रियाशील होने के कारण इन क्षार धातुओं को केरोसिन तेल में रखा जाता है।
प्रश्न-4 जल के साथ धातुओं की अभिक्रिया समझाइए। अभिक्रियाओं के समीकरण भी लिखिए।
उत्तर-
जल के साथ धातुओं की अभिक्रिया की तीव्रता भी धातुओं की रासायनिक क्रियाशीलता पर निर्भर करती है। कुछ धातुएं ठण्डे जल के साथ, कुछ गरम जल के साथ एवं कुछ केवल भाप के साथ अभिक्रिया करती है। और कुछ तो भाप के साथ भी अभिक्रिया नहीं करती। जल के साथ धातु अभिक्रिया कर धातु हाइड्राॅक्साइड व हाइड्रोजन गैस देते हैं जबकि भाप के साथ धातु अभिक्रिया कर धातु ऑक्साइड व हाइड्रोजन गैस देते हैं।
(अ) ठण्डे जल के साथ अभिक्रिया- सोडियम व पोटैशियम धातुएं ठण्डे जल के साथ अभिक्रिया करती हैं।
2K(s) + 2H2O (l) → 2KOH (aq) + H2 (g) + Heat यह अभिक्रिया अत्यन्त ऊष्माक्षेपी होती है फलस्वरूप बनने वाली हाइड्रोजन गैस आग पकड लेती है।
(ब) गरम जल के साथ- मैग्नीशियम गरम जल के साथ अभिक्रिया करता है एवं बनने वाली H2 गैस के बुलबुले सतह से चिपकने के कारण यह भी जल में तैरने लगता है।
Mg (s) + 2H2O(g) → Mg(OH)2 (aq) + H2 (g)
(स) भाप के साथ- एल्युमिनियम, जिंक व आयरन जैसी कम अभिक्रियाशील धातुएं भाप के साथ अभिक्रिया कर धातु ऑक्साइड व हाइड्रोजन बनाते हैं।
2Al(s) + 3H2O(g) → Al2O3(s) + 3H2(g)
लैड, कॉपर, सिल्वर और गोल्ड जैसी अत्यन्त कम अभिक्रियाशील धातुएं भाप के साथ भी अभिक्रिया नहीं करती।
प्रश्न-5 इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण द्वारा Na2O तथा MgO का निर्माण दर्शाइए।
उत्तर-
Na2O का निर्माण:-
2Na + O → Na2O
दो सोडियम परमाणु एक ऑक्सीजन परमाणु सोडियम ऑक्साइड
2,8,1 2,6
MgO का निर्माण:-
Mg + O → MgO
मैग्नीशियम परमाणु ऑक्सीजन परमाणु मैग्नीशियम ऑक्साइड
2, 8, 2 2, 6
प्रश्न-6 आयनिक यौगिकों के गलनांक व क्वथनांक अपेक्षाकृत अधिक होते हैं। कारण बताइए।
उत्तर-
इनका गलनांक व क्वथनांक उच्च होता है, क्योंकि विपरीत आवेशित आयनों के मध्य प्रबल आकर्षण बल को तोड़ने के लिए अधिक ऊष्मा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जैसे- NaCl का गलनांक 1074 केल्विन व क्वथनांक 1686 केल्विन होता है।
प्रश्न-7 खनिज और अयस्क किसे कहते हैं? अयस्क के सान्द्रण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
पृथ्वी की भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्वों या यौगिकों को खनिज कहते हैं। कुछ स्थानों पर खनिजों में कोई विशेष धातु काफी मात्रा में होती है जिसे निकालना लाभकारी होता है। इन खनिजों को अयस्क कहते हैं। अयस्क में उपस्थित अवांछित अशुद्धियां जैसेः बालू, मिट्टी के कण, चूना पत्थर आदि अशुद्धियां आधात्री या गैंग कहलाती है। अयस्क से धातु के निष्कर्षण से पूर्व इन अशुद्धियों को हटाना आवश्यक है। अयस्क से आधात्री को हटाने के लिए, किए जाने वाला प्रक्रम अयस्क का समृद्धिकरण या सान्द्रण करना कहलाता है।
प्रश्न-8 भर्जन व निस्तापन को उदाहरण देते हुए समझाइए।
उत्तर-
जब सल्फाइड अयस्क को धातु ऑक्साइड में परिवर्तित करने के लिए वायु की उपस्थिति में तेजी से गरम किया जाता है, तो यह क्रिया भर्जन कहलाती है।
जैसे- कॉपर ग्लांस (Cu2S) की भर्जन क्रिया-
2Cu2S (s) + 3O2 (g) → 2Cu2O (s) + 2SO2 (g)
जबकि जब कार्बोनेट अयस्क को धातु ऑक्साइड में परिवर्तित करने के लिए वायु की अनुपस्थिति में या सीमित वायु में तेजी से गरम किया जाता है तो वह क्रिया निस्तापन कहलाती है।
जैसे- जिंक कार्बोनेट के लिए निस्तापन क्रिया-
ZnCO3(s) → ZnO(s) + CO2(g)
प्रश्न-9 सोडियम धातु किस प्रकार निष्कर्षित की जाती है? आवश्यक रासायनिक समीकरणों की सहायता से समझाइए।
उत्तर-
अत्यन्त अभिक्रियाशील धातुओं जैसेः पोटैशियम, सोडियम आदि को उनके पिघले क्लोराइडों के वैद्युत अपघटन द्वारा द्वारा निष्कर्षित किया जाता है। वैद्युत अपघटन की क्रिया में पिघले हुए सोडियम क्लोराइड में विद्युत् प्रवाहित की जाती है जिससे कैथोड पर सोडियम धातु प्राप्त होती है जबकि एनोड पर क्लोरीन गैस मुक्त होती है।
NaCl (l) → 2Na(s) + Cl2(g)
पिघला सोडियम क्लोराइड कैथोड पर एनोड पर
प्रश्न-10 सोडियम धातु के निष्कर्षण में सोडियम व पोटैशियम क्लोराइडों के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन नहीं किया जाता है बल्कि पिघले हुए सोडियम क्लोराइड का वैद्युत अपघटन किया जाता है। ऐसा क्यों?
उत्तर- सोडियम व पोटैशियम क्लोराइडों के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन नहीं किया जाता क्योंकि जैसे ही कैथोड पर सोडियम धातु की प्राप्ति होगी यह तुरन्त ही जल से अभिक्रिया कर सोडियम हाइड्रोक्साइड बना देगा। इस तरह सोडियम धातु की प्राप्ति नहीं हो सकेगी।
प्रश्न-11 धातु M के विद्युत अपघटनी परिष्करण में आप एनोड, कैथोड और विद्युत अपघट्य के रूप में किसे लेंगें?
उत्तर-
धातु M के विद्युत अपघटनी परिष्करण में एनोड, कैथोड और विद्युत अपघट्य के रूप में निम्नानुसार लेंगे-
1. एनोड - अशुद्ध धातु M के मोटा गुटका,
2. कैथोड - शुद्ध धातु M की एक पतली पत्ती तथा
3. वैद्युत अपघट्य - धातु M के किसी लवण के जलीय विलयन।
प्रश्न-12 संक्षारण क्या है? किन्हीं दो धातुओं के नाम बताइए जो आसानी से संक्षारित नहीं होती।
उत्तर-
धातुओं का, उनकी सतह पर वायु, आर्द्रता अथवा रसायन के प्रभाव से नष्ट होना संक्षारण कहलाता है। जैसे- लोहे में नमी की उपस्थिति में जंग लगना
4Fe + 3O2 + 2xH2O → 2Fe2O3.xH2O
जलयोजित फैरिक ऑक्साइड (जंग)
गोल्ड व प्लेटिनम जैसी अत्यन्त अनअभिक्रियाशील धातुएं आसानी से संक्षारित नहीं होती। यही कारण है कि इन धातुओं का उपयोग जेवर बनाने में किया जाता है।
प्रश्न-13 गैल्वनीकरण का क्या अर्थ है? यह क्यों किया जाता है?
उत्तर- लोहे की वस्तुओं के ऊपर जिंक धातु की पतली परत चढाने की क्रिया यशद लेपन या गेल्वनीकरण कहलाती है। लोहे की वस्तु पर जिंक की यह परत उसे जंग लगने से बचाती है। छत बनाने की चद्दरों व जल आपूर्ति के पाइपों का भी गैल्वनीकरण किया जाता है।
प्रश्न-14 एनोडीकरण क्या है? समझाइए।
उत्तर- एनोडीकरण प्रक्रम में तनु सल्फ्युरिक अम्ल के विद्युत अपघटन के दौरान एल्युमिनियम की वस्तु का एनोड बनाया जाता है। इस प्रक्रम में एल्युमिनियम के एनोड पर मुक्त होने वाली ऑक्सीजन गैस, एल्युमिनियम से क्रिया कर एल्युमिनियम ऑक्साइड की मोटी परत बनाती है। जो एल्युमिनियम को संक्षारण से सुरक्षा देती है। प्रेशर कुकरों, खाना पकाने के बर्तनों व खिडकी के फ्रेमों को संक्षारण से बचाने के लिए उनका एनोडीकरण किया जाता है।
प्रश्न-15 मिश्र धातु क्या है? किसी दंत चिकित्सक द्वारा दांतों में भरने के लिए किस मिश्र धातु का उपयोग किया जाता है?
उत्तर- दो या दो से अधिक धातुओं (या धातु व अधातु की थोडी मात्राओं) के समांगी मिश्रण को मिश्र धातु कहते है। मिश्र धातु तैयार करने के लिए पहले मूल धातु को गलित अवस्था में लाया जाता है फिर दूसरे तत्वों को एक निश्चित अनुपात में इसमें विलेय किया जाता है। अब इसे कमरे के ताप पर ठण्डा किया जाता है। मिश्र धातुएं अपनी मूल धातुओं की अपेक्षा अधिक कठोर, मजबूत, संक्षारण के प्रति अधिक प्रतिरोधी तथा निम्न गलनांक व निम्न वैद्युत चालकता वाली होती हैं।
मरकरी धातु की एक या अधिक अन्य धातुओं के साथ मिश्रधातु को अमलगम कहा जाता है। मरकरी, सिल्वर, टिन व जिंक से बने अमलगम दांतों में भरने के लिए दंत चिकित्सकों द्वारा प्रयुक्त किए जाते हैं।
प्रश्न-16 सोल्डर क्या है? इसका क्या उपयोग है?
उत्तर- सीसा व टिन (दोनों 50-50 प्रतिशत) की मिश्रधातु टांका या रांगा या सोल्डर होती है। इसका गलनांक काफी कम होने के कारण इसका उपयोग विद्युत तारों की वेल्डिंग या टांका लगाने में किया जाता है।
प्रश्न-17 सक्रियता श्रेणी क्या है? इसका कोई एक उपयोग बताइए।
उत्तर- घटती अभिक्रियाशीलता के क्रम में धातुओं का क्रमायोजन धातुओं की सक्रियता श्रेणी कहलाती है।
उपयोग- धातुओं की तुलनात्मक अभिक्रियाशीलता के बारे में जाना जा सकता है। एक अधिक अभिक्रियाशील धातु (सक्रियता श्रेणी में ऊपर आने वाली), कम अभिक्रियाशील धातु (सक्रियता श्रेणी में तुलनात्मक रूप से नीचे आने वाली) को उसके लवण के विलयन से विस्थापित कर देती है।
प्रश्न-18 दो धातुओं के नाम बताइए जो तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देंगे तथा दो धातुएं के नाम बताइए जो ऐसा नहीं कर सकती हैं।
उत्तर- लोहा एवं जस्ता तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देते हैं जबकि सोना, चांदी एवं पारा ऐसा नहीं कर सकते हैं।
प्रश्न-19 आघातवर्ध्यता तथा तन्यता किसे कहते हैं?
उत्तर- कुछ धातुओं को पीटकर पतली चादर बनाया जा सकता है। इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता कहते हैं। सोना तथा चांदी सबसे अधिक आघातवर्ध्य धातुएं हैं।
धातु को पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को तन्यता कहा जाता है। सोना सबसे अधिक तन्य धातु है। एक ग्राम सोने से 2 मीटर लंबा तार बनाया जा सकता है।
प्रश्न-20 अपररूप किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर- कार्बन ऐसी अधातु है जो विभिन्न रूपों में विद्यमान रहती है। प्रत्येक रूप को अपररूप कहते हैं। हीरा कार्बन का एक अपररूप है। यह सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है एवं इसका गलनांक तथा क्वथनांक बहुत अधिक होता है। कार्बन का एक अन्य अपररूप ग्रेफाइट, विद्युत का सुचालक है।
प्रश्न-21 सक्रियता श्रेणी क्या है? समझाइए।
उत्तर- सक्रियता श्रेणी वह सूची है जिसमें धातुओं की क्रियाशीलता को अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। सक्रियता श्रेणी आगे दी गई हैं-
प्रश्न-22 थर्मिट अभिक्रिया क्या है?
उत्तर- आयरन (III) ऑक्साइड (Fe2O3) के साथ ऐलुमिनियम की अभिक्रिया का उपयोग रेल की पटरी एवं मशीनी पुर्जों की दरारों को जोड़ने के लिए किया जाता है। इस अभिक्रिया का थर्मिट अभिक्रिया कहते हैं।
Fe2O3 (s) + 2Al (s) → 2Fe(l) + Al2O3 (s) + ऊष्मा
प्रश्न-23 अधातुओं के किन्हीं 5 गुणधर्मों को श्रेणीबद्ध कीजिए।
उत्तर-
अधातुओं के गुणधर्म धातुओं के विपरीत होते हैं। यह न तो आघातवर्ध्य तथा न ही तन्य होते हैं।
1. ऊष्मा व विद्युत चालकता- ग्रेफाइट के अलावा सभी अधातुएं ऊष्मा एवं विद्युत की कुचालक होती हैं।
2. अवस्था- कार्बन, सल्फर, आयोडीन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन आदि अधातुओं के कुछ उदाहरण हैं। ब्रोमीन एकमात्र ऐसी अधातु है जो द्रव होती है। इसके अलावा सारी अधातुएं या तो ठोस या फिर गैसें होती हैं।
3. कठोरता- अधातुएं मुलायम व भंगुर होती हैं (कार्बन, सल्फर, आयोडीन)।
4. विद्युत ऋणात्मकता- अधातुएं विद्युत ऋणात्मक तत्व होती हैं क्योंकि धातुओं के साथ अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋण आवेशित आयन बनाती हैं।
5. गलनांक व क्वथनांक- अधातुएं न्यून गलनांक व क्वथनांक वाली होती हैं।
6. चमक- अधातुएं चमकीली नहीं होती है। आयोडीन अधातु होते हुए भी चमकीला होता है।
7. ऑक्सीजन से क्रिया- अधातुएं ऑक्साइड बनाती हैं जो या तो अम्लीय या उदासीन होते हैं। अधिकांश अधातुएं ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्साइड प्रदान करते हैं जो जल में घुलकर अम्ल बनाते हैं।
8. हाइड्रोजन से क्रिया- अधातुएं तनु अम्लों में से हाइड्रोजन का विस्थापन नहीं करती हैं। यह हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया कर हाइड्राइड बनाती हैं।
प्रश्न-24 इन अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिएः
(1) भाप के साथ आयरन। (2) जल के साथ कैल्सियम तथा पोटैशियम।
(3) आयरन के साथ तनु H2SO4 की (4) जिंक को आयरन सल्फेट के विलयन में डालने से
उत्तर-
(1) भाप के साथ आयरन की अभिक्रिया-
3Fe (s) + 4H2O (g) → Fe3O4 (s) + 4H2 (g)
(2) जल के साथ सोडियम, पोटैशियम तथा कैल्सियम की अभिक्रिया-
पोटैशियम एवं सोडियम जैसी धातुएं ठंडे जल के साथ तेज़ी से अभिक्रिया करती है तथा हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड बनाती है। यह अभिक्रिया तेज तथा ऊष्माक्षेपी होती है कि इससे उत्सर्जित हाइड्रोजन तत्काल प्रज्ज्वलित हो जाती है।
2K (s) + 2H2O (l) → 2KOH (aq) + H2 (g) + ऊष्मीय ऊर्जा
2Na (s) + 2H2O (l) → 2NaOH (aq) + H2 (g) + ऊष्मीय ऊर्जा
जल के साथ कैल्सियम की अभिक्रिया थोड़ी धीमी होती है। यहां उत्सर्जित ऊष्मा हाइड्रोजन के प्रज्ज्वलित होने के लिए पर्याप्त नहीं होती है।
Ca (s) + 2H2O (l) → Ca(OH)2 (aq) + H2 (g)
(3) आयरन के साथ तनु H2SO4 की अभिक्रिया-
Fe (s) + H2SO4 (l) → FeSO4 (l) + H2 (g)
(4) जिंक को आयरन सल्फेट के विलयन में डालने से अभिक्रिया- जिंक को आयरन सल्फेट के विलयन में डालने पर जिंक, आयरन सल्फेट से आयरन को विस्थापित कर देता है।
Zn (s) + FeSO4 (l) → ZnSO4 (l) + Fe (s)
प्रश्न-25 आयनिक यौगिक या वैद्युत संयोजक यौगिक किसे कहा जाता है? आयनिक यौगिकों के गुणधर्म लिखिए।
उत्तर- धातु से अधातु में इलेक्ट्रॉनों के स्थानांतरण से बने यौगिकों को आयनिक यौगिक या वैद्युत संयोजक यौगिक कहा जाता है। जैसे - NaCl, Na2O, MgO, MgCl2, CaO, LiCl, CaCl2 आदि।
आयनिक यौगिकों के गुणधर्म-
(i) भौतिक प्रकृति- धन एवं ऋण आयनों के बीच मजबूत आकर्षण बल के कारण आयनिक यौगिक ठोस एवं थोड़े कठोर होते हैं। ये यौगिक सामान्यतः भंगुर होते हैं तथा दाब डालने पर टुकड़ों में टूट जाते हैं।
(ii) गलनांक एवं क्वथनांक - आयनिक यौगिकों का गलनांक एवं क्वथनांक बहुत अधिक होता है क्योंकि मजबूत अंतर-आयनिक आकर्षण को तोड़ने के लिए ऊर्जा की पर्याप्त मात्रा की आवश्यकता होती है।
(iii) घुलनशीलता - वैद्युत संयोजक या आयनिक यौगिक सामान्यतः जल में घुलनशील तथा किरोसिन, पेट्रोल आदि जैसे विलायकों में अविलेय होते हैं।
(iv) विद्युत चालकता - किसी विलयन से विद्युत के चालन के लिए आवेशित कणों की गतिशीलता आवश्यक होती है। आयनिक यौगिकों के जलीय विलयन में आयन उपस्थित होते हैं। जब विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो यह आयन विपरीत इलेक्ट्रोड की ओर गमन करने लगते हैं। ठोस अवस्था में आयनिक यौगिक विद्युत का चालन नहीं करते हैं क्योंकि ठोस अवस्था में दृढ़ संरचना के कारण आयनों की गति संभव नहीं होती है। लेकिन आयनिक यौगिक गलित अवस्था में विद्युत का चालन करते हैं क्योंकि गलित अवस्था में विपरीत आवेश वाले आयनों के मध्य स्थिर वैद्युत आकर्षण बल ऊष्मा के कारण कमजोर पड़ जाता है। इसलिए आयन स्वतंत्र रूप से गमन करते हैं एवं विद्युत का चालन करते हैं।
प्रश्न-25 निम्नांकित के कारण बताइए-
(i) गर्म जल का टैंक बनाने में तांबे का उपयोग होता है परंतु इस्पात (लोहे की मिश्रधातु) का नहीं। इसका कारण बताइए।
उत्तर- गर्म जल का टैंक बनाने में तांबे का उपयोग होता है परंतु इस्पात (लोहे की मिश्रधातु) का नहीं क्योंकि लोहा भाप के साथ अभिक्रिया करके लोहे काऑक्साइड व हाइड्रोजन गैस बनाता है।
(ii) प्लैटिनम, सोना एवं चांदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
उत्तर- प्लैटिनम, सोना एवं चांदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है क्योंकि ये धातुएं अच्छी तरह से कठोर, चमकदार, आघातवर्धनीय तथातन्य होने के साथ-साथ कम अभिक्रियाशील होती है। सिल्वर एवं गोल्ड अत्यंत अधिक ताप पर भी ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं, अतः इनसेसरलता से आभूषण बनाएं जा सकते हैं।
(iii) ऐलुमिनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है, फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तन बनाने के लिए किया जाता है।
उत्तर- ऐलुमिनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है, वायु के संपर्क में आने पर ऐलुमिनियम पर ऑक्साइड की पतली परत का निर्माण होता है। ऐलुमिनियमऑक्साइड की परत इसे संक्षारण से बचाती है। इसी कारण अत्यंत अभिक्रियाशील धातु होने के बावजूद भी ऐलुमिनियम का उपयोग खाना बनाने वाले बर्तनबनाने के लिए किया जा सकता है। ऐलुमिनियम पर ऑक्साइड की मोटी परत बनाने की प्रक्रिया का ऐनोडीकरण (Anodising) कहते हैं। इस परत को मोटाकरके इसे संक्षारण से अधिक सुरक्षित किया जा सकता है।
(iv) निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।
उत्तर- सल्फाइड या कार्बोनेट की तुलना में धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करना अधिक आसान है। इसलिए अपचयन से पहले धातु के सल्फाइड एवं कार्बोनेट को धातु ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।